छत्तीसगढ़ के मनोरम पर्यटन स्थलों पर अब सेल्फी लेना महंगा पड़ सकता है। धमतरी जिले की कलेक्टर नम्रता गांधी और पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय ने एक महत्वपूर्ण बैठक में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर कई अहम निर्णय लिए हैं। इस फैसले के पीछे का मुख्य कारण है बरसात के मौसम में बढ़ता जल प्रवाह और उससे उत्पन्न होने वाले खतरे।
गंगरेल जलाशय और नरहरा जल प्रपात, जो कि धमतरी के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं, अब सुरक्षा के मामले में और अधिक सतर्क हो जाएंगे। प्रशासन ने इन स्थानों पर सेल्फी लेने पर रोक लगा दी है, खासकर उन जगहों पर जहां पानी का बहाव अधिक होता है। यह निर्णय पर्यटकों के जीवन की रक्षा के लिए लिया गया है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सेल्फी लेने के चक्कर में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
इसके अलावा, प्रशासन ने पर्यटन स्थलों पर कई अन्य सुधार करने का भी निर्णय लिया है। पार्किंग व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा, जिससे वाहनों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। नरहरा में मगरलोड की ओर से आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, पर्यटकों को जागरूक करने के लिए नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे, जो सुरक्षा नियमों और स्थानीय जानकारी प्रदान करेंगे।
रूद्रेश्वर घाट रूद्री में बारिकेटिंग की जाएगी, जो पर्यटकों को खतरनाक क्षेत्रों से दूर रखने में मदद करेगी। इसके अतिरिक्त, एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा, जो आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगा।
कलेक्टर नम्रता गांधी ने स्पष्ट किया कि इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम न केवल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण में भी मदद करेगा।
इस बैठक में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की गई। चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई, आवारा मवेशियों की समस्या से निपटना, और अवैध रेत खनन रोकना जैसे विषय भी एजेंडे में शामिल थे। प्रशासन ने इन समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया।
अंत में, प्रशासन ने उत्कृष्ट कार्य के लिए एएसआई श्री रामावतार राजपूत को सम्मानित किया। उन्हें कानून व्यवस्था, यातायात नियंत्रण, और बाढ़ राहत कार्यों में उनके योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र दिया गया।
यह पहल धमतरी और छत्तीसगढ़ के पर्यटन को सुरक्षित और संगठित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।