विनेश फोगाट, भारत की प्रतिष्ठित महिला पहलवान, ने अपने करियर से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। यह खबर कुश्ती जगत में भूचाल ला दी है। आइए जानें इस निर्णय के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।
ओलंपिक से अयोग्यता: एक ग्राम के लिए टूटा सपना
पेरिस ओलंपिक 2024 में 50 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक के मुकाबले से पहले विनेश को महज 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। यह खबर न केवल विनेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका था।
भावुक संदेश: मां से माफी
अपनी मां प्रेमलता को संबोधित करते हुए विनेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“मां, कुश्ती जीत गई, मैं हार गई। मुझे माफ कर दीजिए, आपके सपने और मेरा साहस, सब कुछ टूट गया है। अब मेरे पास और ताकत नहीं है। अलविदा कुश्ती 2001-2024। मैं आप सभी की ऋणी रहूंगी। मुझे माफ कर दीजिए।”
न्याय की गुहार: CAS में अपील
विनेश ने अपनी अयोग्यता के खिलाफ खेल पंचाट न्यायालय (CAS) में अपील दायर की है। वे चाहती हैं कि उन्हें संयुक्त रजत पदक से सम्मानित किया जाए। CAS का एक विशेष विभाग पेरिस में स्थापित किया गया है जो ओलंपिक खेलों के दौरान उठने वाले विवादों का समाधान करेगा।
स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां
वजन कम करने के प्रयास में विनेश को गंभीर निर्जलीकरण का सामना करना पड़ा। उन्होंने भूखे रहकर, तरल पदार्थों से बचकर और पसीना बहाने के लिए रात भर जागकर वजन कम करने की कोशिश की।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान वजन-तौल नियम को अभी बदला नहीं जा सकता। हालांकि, UWW के अध्यक्ष नेनाद लालोविच ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की चिंताओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
विनेश की उपलब्धियां
विनेश तीन बार की ओलंपियन हैं और उन्होंने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीते हैं। वे पहली भारतीय महिला पहलवान थीं जिन्होंने अपने वर्ग में स्वर्ण पदक मुकाबले में जगह बनाई थी।
निष्कर्ष
विनेश फोगाट का संन्यास भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि खेल में जीत-हार के साथ-साथ मानवीय पहलू भी महत्वपूर्ण होते हैं। आशा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नियमों में उचित संशोधन किए जाएंगे।