12 अगस्त, 2024 को रायपुर में विश्व हाथी दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विशेष रूप से भाग लिया।
भारत की भूमिका हाथी संरक्षण में
श्री यादव ने अपने संबोधन में कहा, “भारत में जंगली हाथियों की सबसे बड़ी और सुरक्षित संख्या है। 2017 की गणना के अनुसार, हमारे देश में लगभग 30,000 हाथी हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 33 हाथी रिजर्व और 150 हाथी गलियारे हैं, जो 14 राज्यों में फैले हुए हैं।
छत्तीसगढ़: हाथियों का प्राकृतिक आवास
मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ के हाथियों से गहरे संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारे प्रदेश में हाथियों के ऐतिहासिक साक्ष्य भी मिलते हैं। भागवत पुराण के गजेन्द्र मोक्ष की कथा छत्तीसगढ़ की है।”
नवीन पहल और संरक्षण प्रयास
छत्तीसगढ़ सरकार हाथी-मानव संघर्ष को कम करने के लिए कई नवीन पहल कर रही है:
- हमर हाथी हमर गोठ: सरगुजा से प्रसारित रेडियो कार्यक्रम
- गज यात्रा अभियान: ग्रामीणों को संवेदनशील बनाने के लिए
- गज संकेत एवं सजग ऐप: हाथियों के विचरण की जानकारी देने के लिए
राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कदम
केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने बताया कि रेलवे परिचालन के कारण हाथियों पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए, 12 राज्यों में लगभग 2455 किलोमीटर के 110 रेलवे खंडों की पहचान की गई है, जहां तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
गज गौरव पुरस्कार
कार्यक्रम में हाथी संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों को गज गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया:
- स्वर्गीय श्री बुबुल गोगोई (मरणोपरांत), असम
- श्री दीनबंधु बर्मन, पश्चिम बंगाल
- श्री अनय कुमार सामल, ओडिशा
- श्रीमती संघमित्रा महंत, ओडिशा
निष्कर्ष: एक साझा जिम्मेदारी
हाथी संरक्षण एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है और इसमें सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह कार्यक्रम न केवल हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि मानव-हाथी संघर्ष के महत्वपूर्ण मुद्दे का भी समाधान करेगा।